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.........अंतर्मन...... टूट भी जाए अगर ,तो जुड़ जाती है डोर एक गांठ ही है जो कभी,खत्म नहीं होती मन की मैल तो होती है ,दबी चिंगारी जैसे जलने भी नही देती, ...