मिट्टी का दीया

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जगमग उजास है, दीया सुप्त उदास है, कोई तो खरीद कर, द्युति बिखराइए। कुटते हैं पिसते हैं, दीप रूप धरते हैं, इंतज़ार बाती का है, मत तरसाइए। अस्तित्व निखारने में , ...

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