मर्यादा

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मीठा गीत रचूँ झरने सा सकल मन को पुलकित करूँ । फूलन अंग महक आँगन की मर्यादा शब्द की रखूँ ।।  - - - - ऋषभ दिव्येन्द्र #प्रतियोगिता  ...

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