1 Part
230 times read
7 Liked
प्रेम मिलन रूह से रूह का, रूह से रूह विछोह भी है! प्रेम पवित्र एक बंधन है, प्रेम धोखे का जनक भी है! प्रेम मृगतृष्णा है मन की, प्रेम सुन्दर महक ...