बाली

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*बाली* छू जाता हौले से हवा का झोंका जब भी इस मेरी बाली को तन  सिहरता, मन में लरजता, रोम-रोम इंतजार हो जाता है लगता है फिर आज मिलन का  खूबसूरत ...

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