समाज का कड़वा सच-9

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मैं सुनता हूं ऐसा कि तेरी मुक्ति के लिए, ईश्वर स्वयं तुझे सुनाएं गरुड़ पुराण...... देख जाग जमीन पर हो रहे हैं रिश्ते तार-तार, निकाल रहे हैं मेरी जान......... तू आजाद ...

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