लेखनी कहानी -04-Nov-2023

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प्राकृतिक सौंदर्य का मानवीकरण कविता : नीला-नीला  ये नभ रहे  विस्तारित ज्यों, धरा पर पितृ छाया का ज्यों आभास लगे। भूरे  गुलाबी काले सफेद रंग बदलते मेघ, बने- ठने सेठ कोई ...

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