लेखनी प्रतियोगिता -05-Nov-2023 कविता

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*ढलती सांझ* तुम मेरी ढलती सांझ की बदली बन गई हो, ढलता चंद्रमा रात उजीयारी बन गई हो ।  जज्बात क्या लिखूं तुम तबस्सुम की लालिमा हो । मैं जलती आग ...

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