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खड्ग का घाव भरे, कटु बोल सदा हरे। चिंतन विचार कर, सदा मुंह खोलिए।। कर्कश सुनाए बोल, बोले नहीं तोल मोल। सास बहू खूब लड़ें, मान ना गंवाइए।। घर में लड़ाई ...