समाज का कड़वा सच-15

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राम राम दशरत भजे, रही न राम की आस, पुत्र मोह में पिता तरसे, कौन बुझाये प्यास, मृत्यु ऐसी बाबरी, जिसकी ना ढीली पाश, तपोवन की अग्नि है वह, पेड़ बसे ...

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