समाज का कड़वा सच-16

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पल भर में मिट जाये हस्ती, फिर कैसा अभिमान, जान बूझकर करता गलती, और बने अनजान, कर्म फल की न चिंता करता, कैसे कैसे करे जतन, तिल तिल कर जोड़े धन ...

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