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रोशन हुए महल कुटिया, धन लक्ष्मी पधारें। जगमग सजे दीप बगिया, धन लक्ष्मी पधारें। छम-छम करती अंगने में आई, अन्न-धन-वैभव भण्डार भर लाई, गणपति की पकड़े उंगलिया, धन लक्ष्मी.. सागर मंथन ...