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रंगा सियार नदी किनारे रहता था एक लाल रंगा सियार खुद को समझे बड़ा सियाना, सबको मूरख यार। एक दिन गलती से मुझसे वो आ टकराया लगा अकड़ने, मुझको अपना ज्ञान ...