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गीतिका तुमसे ही जीवन में उपवन। कली-कली मधुमासित हर क्षण।। कदम तुम्हारे जहाँ पड़े हैं, नित वसंत का हुआ आगमन। देख तुम्हारी मोहक सूरत, होती मन कुँजन में गुंजन। आलौकिक है ...