रिश्ते

1 Part

248 times read

7 Liked

रिश्ता ठण्डी फुहार सा है, तपती दुपहरी में छाँव सा, झर झर निर्झर प्यास जैसे, शान्त रहे शीतल नीर सा, विश्वास नींव कायम रखना, धूल पर्त मत जमने देना। कंकड से ...

×