गाँव-दोहे

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ग्राम एक परिवार सा, साझी सबकी पीर। व्याह हो या तेरहवीं, मिलकर खाते खीर।। परिश्रम नर नारी करें, आलस कोसों दूर। बच्चे बूढ़े कृषि करें, श्रम का है दस्तूर।। मोटा थुल-थुल ...

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