0 Part
290 times read
20 Liked
पंक्ति 1 दर्द की गहराइयों में खो गई, इश् शहर में बलात्कार हुई, आंसू से उम्मीद की कटवारें, छूटे एक नदी की तरह समझो हमें। पंक्ति 2 अँधेरे से उभरने की ...