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.......गुफ्तगू...... बात तो करनी है तुझसे पर,शुरू करूं कहां से ! लफ्जों को ढूंढ रही हूं क्या कहूं यही सोच रही हूं ज़िंदगी के नये रंग बताऊं या लड़खड़ाते जमी पर ...