दर्द की गूंज

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.........दर्द की गूंज....... मिले हैं दर्द बेशुमार इतने  कि अब दर्द को भी दर्द से छांटना मुमकिन नहीं होता नए दर्द की भी बात क्या करें   उसे भी पुराने मे शामिल ...

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