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लिक्खा नहीं लिक्खा नहीं है बैठना, मेरे नसीब में। बुझ सकी न प्यास,था दरिया क़रीब में।। पायी जिसे थी हमने,बंजर ज़मीन थी। उफ़,खोजती सियासत नसीबा ...