बेसुरी बांसुरी-04-Dec-2023

1 Part

425 times read

13 Liked

कविता - बेसुरी बांसुरी।  क्यों  बनाते  हो जीवन को बेसुरी सी बांसुरी फूंक  कर  सांसों को देखो सुर भरी है राग री।  चार  दिनों  की  चांदनी   है फिर अधेरी रात री।  ...

×