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ग़ज़ल एक अर्से बाद ख़ुदा के दर से पैग़ाम आया है। कई तहरीरों के बाद उसे मेरा ख्याल आया है।। मेरे दर्द-ए-पैहम का कोई टुकड़ा उसके दामन से जा टकराया है। ...