कुछ अनकही बातें

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दुनिया का दस्तूर निराला जमाने से उम्मीद लगाए बैठे थे  छाता खोल के बरसात में  फिर जो बरसात हुई  छाता भी भीगा, हम भी भीगें  और भीग गया सारा सामान  मदद ...

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