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नेह के धागे, अंतिम पड़ाव तक, समेटे रखते हैं, रिश्तों को!! टूटने-बिखरने से, परे ले जाते है॔! परवाह शामिल है, अपने पन की!! स्नेह अपार शक्ति, का भण्डार जो, रफू करता ...