सूर्य

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मनोरम छंद 2122   2122 विषय-सूर्य भोर होते आ गगन पर। प्रेम से नित आ सभी पर।। स्वर्ण आभा रोशनी कर। सृष्टि को नव चेतना भर।। ताप भरकर मौन धरती। जागतें हैं ...

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