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हौंसला मेरा अगर तुम्हें प्यारी है, अपनी इज़्ज़त, तो फिर मुझे भी, मेरा स्वाभिमान प्यारा है, सिर्फ तुम्हारी खुशी की खातिर, इस समाज में रुलना, नहीं गवारा है, कितना भी जता ...