लेखनी प्रतियोगिता -19-Dec-2023" जब भी चलती हूँ "

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'जब भी चलती हूँ' जब भी चलती हूं मैं  ऊबड़- खाबड़ रास्तों पर उभरता एक ख्याल मन में क्या जीवन के रास्ते भी होते हैं ऊबड़ खाबड़ यूँ.....!!  हर दिन घूमता ...

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