नजारों को

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नजारों   को  निगाहों  में  उतरने  तो  दो  रँग  फूलों  का  फ़िज़ाओं  में  बिखरने  तो  दो  चले  जाएंगे  हम  भी  मुसाफिरों  की  तरह  जरा कुछ देर उनकी गलियों में ठहरने तो दो ...

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