कंकाल-अध्याय -२८

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यमुना पागल हो उठी। उसने देखा-सामने विजय बैठा हुआ अभी पी रहा है। रात पहर-भर जा चुकी है। वृन्दावन में दूर से फगुहारों की डफ की गम्भीर ध्वनि और उन्मत्त कण्ठ ...

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