कंकाल-अध्याय -४४

91 Part

24 times read

0 Liked

वह बोला, नहीं। 'तुम्हे चित्त-शुद्धि की आवश्यकता है। जाओ सेवा में लगो, समाज-सेवा करके अपना हृदय शुद्ध बनाओ। जहाँ स्त्रियाँ सताई जाएँ, मनुष्य अपमानित हो, वहाँ तुमको अपना दम्भ छोड़कर कर्त्तव्य ...

Chapter

×