कंकाल-अध्याय -४७

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श्रीचन्द्र ने कहा, 'चन्दा, तुमको भूल न जाना चाहिए कि संसार में पाप से उतना डर नहीं जितना जनरव से! इसलिए तुम चलो, मैं ही तुम्हारे बँगले पर आकर चाय पीऊँगा। ...

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