कंकाल-अध्याय -६१

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मिरजा के आ जाने से गाँव-भर में एक आतंक छा गया। मेरे नाना का बुढ़ापा चैन से कटने लगा। सोमनाथ मुझे हिन्दी पढ़ाने लगे, और मैं माता-पिता की गोद में सुख ...

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