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सच्ची मुहब्बत कहता है तू, फिर इसमें अय्यारी कैसी। प्रीत,समर्पण,फरेब दिखाकर, करली ये तैयारी कैसी। तुझसे सब उम्मीदें टूटी, परछाईं का साथ न छूटा। जग है एक भीड़ सा मेला, बिछड़ ...