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*कसक* कसक उठती हृदय में देख कर,मजलूम को बेघर, हैं आए वो भी दुनिया में,अशुभ तक़दीर को लेकर।। न खाने का ठिकाना है,न पानी का ठिकाना है, मग़र गढ़ते नगर नित ...