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शीर्षक - क्या कहूँ उस बहादुरी को!! मस्तक शान से ऊचां उठता है, सीना गर्व से तन-तन जाता है, जब हुंकार बहादुरों की उठती है, धरा भी सुरक्षित हो हर्षाता है, ...