कंकाल-अध्याय -८०

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लतिका ने जाकर द्वार खटखटाया। उद्धार की आशा में आज संघ भर में उत्साह था। यमुना हँसने की चेष्टा करती हुई बाहर आयी। लतिका ने कहा, 'चलोगी बहन यमुना, स्नान करने ...

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