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चुभे अल्फ़ाज़ के खंजर जिगर को चीर जाते हैं, सभी कहने को अपने हैं जख्म देकर सताते है, करें हैं बात पेचीदा हमेशा आजमाने की, बड़ी मासूमियत से फिर वही मरहम ...