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एक ग्रहणी मैं सुनु केवल चुप होकर, पुरुष जो चाहे कह ले, मनोकामना हर पुरुष की, नारी चुप होकर सह ले, कहते हैं अस्तित्व मेरा, उनसे ही बन पाया है, उनसे ...