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*वरना यूँ ही गुज़रते रहेंगे साल दर...* ए बशर! कुछ तो अपनी तू रख खबर। वरना यूँ ही गुज़रते रहेंगे साल दर।। क्यों दिल को संगमरमर सा बना डाला, कि आँसू ...