मुलाक़ात

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गागर में है सागर जैसे,  कभी डूबे कभी उतराए। मुलाक़ात सतसैया दोहे,  आकण्ठ आनन्द भर जाए। अथाह सागर गहरी डुबकी,  मोती मिले पैठ है जिसकी। कैसे बयां करें प्रेम रस,  जन्म ...

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