प्रेम सबसे सरल  इबादत है...     बहते पानी जैसी ...  ना इस को किसी शब्द की ज़रूरत..  ना किसी ज़ुबान की मोहताजी..  ना किसी वक़्त की पाबंदी..  और ना ही कोई ...

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