चौपाइयाँ (श्रीराम जी)

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*चौपाइयाँ*(श्रीराम जी) करूँ वंदना रघुकुल-नायक। हे जग-स्वामी,हे सुख-दायक। हरो कष्ट हे दशरथ-नंदन। करते सब हैं तेरा वंदन। धरती काँप रही है थर-थर। आतंकों के कारण डर-डर।  लेकर करो अंत धनु-सायक। दानवता ...

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