प्रभाती

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धूप सुनहरी बिखरी आँगन, नींद भगाए कलरव कानन, इठलाती बलखाती रश्मियाँ,  मधुर प्रभाती गूंजे सावन। पंछी कुंजन भोर प्रभाती, कुहुक-कुहुक कोयल मन भाती, सूरज ने भेजी वसुधा को, झिलमिल किरणें लाईं ...

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