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"चिंगारी" हैं रूप कई चिंगारी के तुम किसमे ढलना चाओगे... आग उगलना चाहोगे या रौशनी बनना चाहोगे... लगे आग तो नष्ट हो सब रौशनी हो तो हो आरंभ... ये तुमको ही ...