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निर्धन निराश्रित माॅं हाय गरीबी! तुमने उसको, क्यों है इतना विवश किया। धवल वर्ण तप श्याम हो गया, तूने इतना तपिश दिया। बाॅंध पीठ पर तूने शिशु को, अट्टालिका समक्ष पत्थर ...