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गीत मात्रा भार -16/14 सूरज बनकर सदा राह में, हे प्राणी तुम उगो-ढलो। भर मिठास तिल गुड़ का मन में, दान पुण्य की राह चलो।। मिश्री सी मोहक हो बोली, सरस ...