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वह छत पर ज़ुल्फ़ सुखाने लगी इक नागन - सी लहराने लगी। जब सुबह की ठण्डी हवा चली क्यों ज़ुल्फ़ तेरी बल खाने लगी। झटके ज़ुल्फ़ों की शोख़ अदा साग़रो - ...