बेटी, मांँ की सखी कविता-04-Feb-2024

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स्वैच्छिक विषय-बेटी, मांँ की सखी खू़बसूरत हो इतनी ज़िंदगी, देखकर के मन गुलज़ार हो। सदा,कर्म ऐसा करना बेटा, बेगाने को भी तुझसे प्यार हो। तुझमें चिड़ियों की चहचहाहट हो, निश्चल तेरी ...

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