समय चक्र

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समय नहीं रुकता इक पल भी,  जैसे रेत फिसलती जाए।  वक्त नहीं है सखा किसी का,  बीता वक्त न लौट के आए। इक मौक़ा सबको मिलता है,  करले कदर वही खिलता ...

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