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केश कारी-कारी जैसे मेघ की घटा हो छाई, पलक उठाए तो कटार लागे मोहिनी! घायल होवे तन-मन शर्म हया से तेरे, पवन की बहती बयार लागे मोहिनी! कोयल सी बोली बोल ...